नई दिल्ली। सोशल मीडिया वेबसाइट के स्वामित्व वाली एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। कंपनी पर 225 मिलियन डॉलर यानी करीब 1947 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि WhatsApp ने यूरोपियन यूनियन के डाटा प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन किया है। डाटा प्राइवेसी नियमों को न मानने के चलते ही कंपनी पर यह जुर्माना लगाया गया है। बता दें कि आयरलैंड डाटा प्रोटेक्शन कमीशन (DPC) ने गुरुवार को इस मामले पर अपना फैसला जारी किया जो 89 पेज का था। इसमें उन्होंने बताया कि WhatsApp ने यूरोपियन यूनियन यूजर्स को धोखा दिया है और उनके डाटा का इस्तेमाल किया है। यूजर्स को यह जानने का पूरा हक था कि आखिर उनका डाटा कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन WhatsApp यूजर्स को अंधेरे में रखा गया और कंपनी उनके निजी डाटा का इस्तेमाल करती रही। कंपनी को यह बताना चाहिए कि आखिर कैसे वो यूजर्स का डाटा इस्तेमाल करती है। एक रिपोर्ट के अनुसार यह कहा गया है कि WhatsApp को कहा गया था कि वो अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट करे। इसमें यह बताए कि यूजर्स का डाटा किस तरह से और क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है। यूजर्स को यह पता होना चाहिए कि उनके डाटा का कहां इस्तेमाल हो रहा है। इसे यूरोप के जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेग्यूलेशन (GDPR) के अनुपालन में लाया गया है। यह इस बात को सुनिश्चित या नियंत्रित करता है कि यूजर्स का डाटा टेक कंपनियों द्वारा कैसे इक्ट्ठा किया जाता है। WhatsApp करेगा अपील: WhatsApp के प्रवक्ता का कहना है कि उनके ऊपर जो जुर्माना लगाया गया है उसके खिलाफ कंपनी अपील करेगी। कंपनी यूजर्स के डाटा और उनकी प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखती है। वे यूजर्स को डाटा और अकाउंट को सिक्योर करने के लिए लगातार काम कर रही है। कंपनी पर जो जुर्माना लगाया गया है वो गलत है और वे नाखुश हैं।
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