नई दिल्ली जब आप में URL टाइप करते समय दांयी तरफ छोटा सा ‘closed lock’ आइकन देखते हैं तो इसका मतलब है कि आप HTTPS के जरिए ब्राउजिंग कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आपका ट्रैफिक इनक्रिप्टेड है यानी जो इन्फर्मेशन आप ले रहे हैं, थर्ड पार्टी उसकी जासूसी नहीं कर सकतीं। लेकिन The Verge की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिक्यॉर दिखने वालीं HHTPS वेबसाइट्स भी पासवर्ड्स और पर्सनल डेटा के लिए इनसिक्यॉर HTTP फॉर्म रख सकती हैं। अक्टूबर 2020 से अपने ब्राउज़र के जरिए इस परेशानी को दूर करने जा रहा है। गूगल के ऑफिशल ब्लॉग पर स्पष्ट किया गया है कि यूजर्स को बेहद स्पष्ट और बोल्ड शब्दों में वार्निंग दी जाएगी। किसी इनसिक्यॉर HTTP साइट पर अपनी निजी जानकारी या पासवर्ड टाइप करने पर यह वार्निंग मिलेगी। गूगल इन 'mixed forms'को ऑटोफिल करने के फीचर को डिसेबल कर रहा है ताकि पासवर्ड मैनेजर्स और ऑटो कंपलीट कीबोर्ड्स टेक्स्ट को ऑटोमैटिकली ना भरें और ब्राउजर की तरफ से मिलने वाली यह तीसरी वार्निंग होगी। इससे पहले गूगल ने HTTP फॉर्म डिटेक्ट होने पर यूआरएल से लॉक आइकन रिमूव होने को लेकर यूजर्स को अलर्ट जारी किया था। लेकिन कंपनी का कहना है कि यूजर्स को यह समझ में नहीं आया और इसके चलते इनसिक्यॉर फॉर्म से डेटा सबमिट होने के खतरे को भी नहीं स्पष्ट किया जा सका। गौर करने वाली बात है कि लॉक आइकन भले ही छोटा हो और शायद हर कोई इसे नोटिस ना करता हो। लेकिन अक्टूबर से गूगल इंटरनेट ब्राउजिंग को और सिक्यॉर बनाने के लिए नए फीचर्स लाने के लिए तैयार है।
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