सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला हो या फिर महेंद्र सिंह धोनी के रिटायरमेंट का ऐलान, दोनों ही स्थितियों में लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने इमोशन्स को खुलकर जाहिर किया। ये लोग वे थे, जिनमें से ज्यादातर तो शायद कभी इन दोनों ही हस्तियों से मिले तक नहीं होंगे। इन्होंने बस दोनों को टीवी या पर्दे पर ही देखा होगा। तो आखिर क्यों लोग इन 'अनजान' लोगों के लिए इतने स्ट्रॉन्ग इमोशन्स फील कर रहे हैं? एम्पथी का भाव है जिम्मेदार अगर आपको भी किसी अंजान व्यक्ति के दुख में दुखी और खुशी में अच्छा फील होता है, तो इसका मतलब ये होता है कि आप उसके साथ एम्पथाइज कर पा रहे हैं। यह भाव सिम्पथी से बिल्कुल हटकर होता है। सिम्पथी में व्यक्ति सिर्फ दया के कारण चीजों को महसूस करता है। यह भावना इतनी मजबूत नहीं होती कि वह किसी को इमोशनल तौर पर विचलित कर सके। वहीं एम्पथी में व्यक्ति को ऐसा लगता है कि वह ठीक वैसे ही इमोशन्स फील कर पा रहा है, जैसा उसके सामने वाला व्यक्ति महसूस कर रहा है। Encyclopedia of Social Psychology के मुताबिक, 'आमतौर पर व्यक्ति एम्पथी तब महसूस करता है, जब वह खुद को दूसरे की स्थिति में इमेजिन करता है: यह अनुभव उसके लिए ऐसा होता है, जैसे वह खुद उस स्थिति में हो, जबकि वास्तविकता में उस सिचुएशन से पूरी तरह से दूसरा व्यक्ति ही गुजर रहा होता है।' शायद यही वजह है कि ज्यादातर लोग सुशांत के केस में बिल्कुल इस तरह से रिऐक्शन देते दिख रहे हैं, जैसे वह उनके परिवार के सदस्य रहे हों। यह रिऐक्शन स्ट्रॉन्ग एम्पथी का नतीजा है। दो तरह की होती हैं एम्पथी रिसर्चर्स के मुताबिक, सोशल साइकॉलजी के आधार पर एम्पथी दो प्रकार की होती है, पहली कॉग्निटिव और दूसरी इमोशनल। इन दोनों में ही काफी अंतर होता है और दोनों के ही अपने नुकसान भी होते हैं। कॉग्निटिव एम्पथी इस तरह की एम्पथी में इमोशन्स से ज्यादा थॉट्स इन्वॉल्व होते हैं। शोधकर्ता होज्स और मायर के मुताबिक, कॉग्निटिव एम्पथी में 'व्यक्ति दूसरे की सोच, विचार और भावनाओं को बहुत अच्छे से समझ और उस पर सोच पाता है।' इस स्थिति में व्यक्ति दूसरे के ऐंगल से चीजों को देख पाता है, जिससे उसे उसका थॉट प्रॉसेस तक समझ में आ जाता है। इसमें इमोशन्स कम इन्वॉल्व होते हैं। 'यह एक स्किल की तरह है जिसे व्यक्ति समय के साथ सीखता है और यह कला लगभग सभी मनुष्यों में मौजूद होती है।' नुकसान कॉग्निटिव एम्पथी की खासियत का व्यक्ति गलत तरीके से भी इस्तेमाल कर सकता है। Emotional Intelligence के लेखक डैनियल गोलमैन की मानें, तो 'किसी को टॉर्चर करने के लिए स्ट्रॉन्ग कॉग्निटिव एम्पथी का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि यह व्यक्ति को ठीक वैसा ही करने में मदद करता है, जिससे वह दूसरे को सबसे ज्यादा हर्ट कर सके।' कॉग्निटिव एम्पथी का इस्तेमाल ज्यादातर बिजनसमैन, मार्केटिंग और सेल्स के व्यक्ति भी करते हैं, जिससे वे अपने प्रॉडक्ट को सेल या अच्छी डील कर सकें। इमोशनल एम्पथी होज्स और मायर के अनुसार, 'इमोशनल एम्पथी में तीन तरह के कम्पोनेन्ट मौजूद होते हैं। पहला, जिसमें व्यक्ति ठीक वैसे ही इमोशन महसूस करता है, जैसा दूसरा कर रहा होता है। दूसरा, व्यक्ति का खुद का व्यक्तिगत दुख, जो दूसरे की परेशानी देख उभरकर सामने आता है और व्यक्ति दोनों इमोशन्स को कनेक्ट कर देता है। तीसरा कम्पोनेन्ट होता है व्यक्ति के लिए संवेदना महसूस करना।' इमोशनल एम्पथी वह इमोशन है, जिसे शायद बच्चा सबसे पहले महसूस करता है। वह अपनी मां को मुस्कुराता देख खुद भी मुस्कुराता है, वहीं दूसरे बच्चे को रोता देख, खुद भी रोने लगता है। नुकसान इमोशनल एम्पथी एक सीमा में ही हो, तभी व्यक्ति के लिए ठीक रहता है, नहीं तो यह उसके लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। जरूरत से ज्यादा इमोशनल एम्पथी उसे खुद इमोशनल प्रॉब्लम्स का शिकार बना सकती है। इसमें व्यक्ति खुद को भी भूल सकता है और उसके सोच व विचार पर दूसरे के इमोशन्स ही हावी होने लग जाते हैं।
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