फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अक्टूबर में होने वाली मीटिंग से पहले पाकिस्तान ने 88 आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए। इसका मकसद ब्लैक लिस्ट होने से बचना है। पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में है। जिन आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे मुख्य तौर पर आईएस, अल कायदा और तालिबान के छोटे संगठनों से जुड़े हैं।
अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही बना रहता है या फिर उसे ब्लैक लिस्ट किया जाता है तो उसे आईएमएफ समेत दूसरे संगठनों से कर्ज मिलना नामुमकिन हो जाएगा।
पहले भी की थी यही कोशिश
यह पहली बार नहीं है जब एफएटीएफ की मीटिंग से पहले पाकिस्तान ने दिखावे के तौर पर आतंकियों या आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की हो। पिछले साल मई में भी उसने 8 आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस बार 88 आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन आतंकियों के बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी सीज कर दी गई हैं। साथ ही इन पर ट्रैवल बैन भी लगाया गया है। कुछ दिन पहले यूएन ने भी टेरेरिस्ट लिस्ट जारी की थी। इनमें कई आतंकी पाकिस्तान में मौजूद हैं।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा- हम यूएन चार्टर के हिसाब से कदम उठा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि दूसरे देश भी पाकिस्तान के इस कदम का समर्थन करते हुए ऐसा ही करेंगे। इन आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए जाने से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग की। इसमें देश की अर्थ व्यवस्था और एफएटीएफ की मीटिंग के बारे में चर्चा हुई।
दो साल से ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान
पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खस्ता है। सऊदी अरब ने उसे कर्ज और ऑयल देने से साफ इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं सऊदी सरकार ने पाकिस्तान से साफ कह दिया है कि उसे इस साल के अंत तक 6.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना होगा। पाकिस्तान जून 2018 से ग्रे लिस्ट में है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 प्वॉइंट का डिमांड लेटर दिया था। सितंबर तक यह सभी शर्तें पूरी की जानी हैं। इसकी समीक्षा संगठन अक्टूबर में होगी।
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