वॉटर प्यूरिफायर खरीदने से पहले जरूर जानें ये बातें

नई दिल्ली बारिश का मौसम आ चुका है। इसमें पीने के लिए साफ पानी का मिलना काफी मुश्किल होता है। कई बार सप्लाई के पानी में भी गंदगी आने लगती है। कई जगह साफ दिखने वाला पानी भी हानिकारक होता है। ऐसे में आमतौर पर हम साफ पानी पीने के लिए वॉटर प्यूरिफायर खरीदने का प्लान बना लेते हैं। कब और कौन-सा वॉटर प्यूरिफायर खरीदें, इसके बारे में Livpure के फाउंडर राकेश मल्होत्रा और Exalta के फाउंडर आशुतोष वर्मा से जानकारी लेकर बता रहे हैं राजेश भारती साफ पानी की कसौटियां सिर्फ देखादेखी में वॉटर प्यूरिफायर लगवाना सही नहीं है। वॉटर प्यूरिफायर लगवाने से पहले अपने घर आ रहे पानी की जांच जरूर करवाएं। घर आ रहा पानी कितना साफ है, इसके लिए उसका इन कसौटियों पर खरा उतरना जरूरी है: 1. बैक्टीरिया न होना साफ पानी में किसी भी प्रकार का बैक्टीरिया नहीं होना चाहिए। ये बैक्टीरिया इंसान को बीमार बना देते हैं। कई बार पेट में दर्द रहने का कारण भी पानी के साथ आए हानिकारक बैक्टीरिया भी हो सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि बैक्टीरिया सिर्फ गंदे पानी में होते हैं। साफ दिखाई दे रहे पानी में भी बैक्टीरिया हो सकते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें माइक्रोस्कोप के बिना देखा नहीं जा सकता। ऐसे लगाएं पता - पानी में बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए पानी को लैब भेजना पड़ता है। लैब के बारे में जानकारी अपने इलाके के जल विभाग या नगर निगम से ली जा सकती है। - कुछ वेबसाइट जैसे itslab.in, sigmatest.org, nabl-india.org आदि पर दिए फोन नंबर पर कॉल करके भी मदद ली जा सकती है। 2. TDS कम होना TDS का पूरा नाम Total Dissolved Solids है। इसका मतलब है कि पानी में मौजूद ठोस पदार्थों (मिनरल्स) की मात्रा। अगर किसी जगह के पानी में TDS की मात्रा 400 ppm (parts per million) या इससे कम है, तो उसे साफ पानी माना जाता है। अगर TDS की मात्रा 400 ppm से ज्यादा है तो वह पानी पीने से बचना चाहिए। इसमें भारी मिनरल्स जैसे सोडियम, पोटेशियम आदि होते हैं। काफी जगह देखा गया है कि पानी TDS की मात्रा 1000 या इससे भी ज्यादा होती है। यह पानी काफी खारा होता है और ऐसे पानी को नहीं पीना चाहिए। ऐसे चेक करें TDS - पानी में TDS चेक करने के लिए डिजिटल थर्मामीटर जैसी एक डिवाइस आती है। डिवाइस में लगी डिस्प्ले पर TDS की मात्रा आ जाती है। - इस डिवाइस को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है। इसकी कीमत करीब 200 रुपये है। 3. pH स्केल सही होना पानी का pH स्केल भी सही होना चाहिए। pH स्केल से पता चलता है कि पानी में कितना एसिड घुला है और कितना क्षार। साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि पानी में ऐक्टिव हाइड्रोजन की मात्रा कितनी है। pH स्केल 0 से 14 के बीच में होता है। 7 से कम pH का मतलब है कि पानी अम्लीय है और अगर पानी का pH 7 से ज्यादा है तो पानी क्षारीय है। पानी का pH 7 होने का मतलब है कि पानी में अम्ल और क्षार दोनों ही नहीं हैं यानी पानी न्यूट्रल है। इसलिए अगर किसी पानी का pH स्केल 7 है, तो उस पानी को pH स्केल के हिसाब से साफ माना जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर किसी जगह के पानी का pH स्केल 6.5 से 7.5 के बीच है तो वह पानी पीने योग्य है। ऐसे चेक करें pH स्कैल - पानी का pH स्केल चेक करने के लिए TDS चेक करने जैसी ही डिवाइस आती है। डिवाइस में डिस्प्ले लगी होती है जिस पर pH वैल्यू आ जाती है। - इस डिवाइस को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है। इसकी कीमत करीब 700 रुपये है। 4. ORP सही होना यहां ORP का मतलब Oxidation Reduction Potential है। इसे ऐसे समझें कि पानी में ऐसे बहुत सारे आयन होते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। ये आयन किसी भी पदार्थ जैसे सोडियम, मैग्निशियम या कैल्शियम आदि के हो सकते हैं। जब पानी में ये आयन ज्यादा मात्रा में होते हैं तो उस पानी में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम होती है। ऐसे में वह पानी शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। ORP को मिलिवोल्ट (mV) से नापते हैं। किसी भी पानी में ORP की मात्रा नेगेटिव 1500 (-1500) mV से प्लस 1500 (+1500) mV हो सकती है। ORP की वैल्यू जितनी ज्यादा निगेटिव होगी, पानी उतना अधिक साफ माना जाता है। एक स्टैंडर्ड के अनुसार किसी जगह के पानी का ORP -400 mV है, तो ORP के अनुसार वह पानी साफ है। वहीं अगर पानी का ORP +400 है, तो वह पानी पीने लायक नहीं है। ऐसे चेक करें ORP - पानी की ORP वैल्यू चेक करने के लिए TDS चेक करने जैसी ही डिवाइस आती है। डिवाइस में डिस्प्ले लगी होती है जिस पर ORP वैल्यू आ जाती है। - इस डिवाइस को ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। कीमत करीब 3000 रुपये है। तीन तरह की तकनीक हैं घर में पानी साफ करने की 1. RO (रिवर्स ऑस्मोसिस) RO से पानी में घुली अशुद्धियां, पार्टिकल्स और मेटल खत्म हो जाते हैं। अगर आपके घर में आ रहे पानी में TDS ज्यादा है या पानी खारा (बोरवेल से) है तो RO टेक्नॉलजी वाला वॉटर प्यूरिफायर ही इस्तेमाल करना चाहिए। सरकारी पानी आए तो RO न लगवाएं। खासियतें - पानी में मौजूद क्लोरीन और आर्सेनिक जैसी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं। - पानी बैक्टीरिया व वायरस से मुक्त रहता है। खामियां - नॉर्मल से ज्यादा टैप वॉटर प्रेशर में काम करना। - हर समय बिजली की जरूरत। औसतन 30-70 फीसदी पानी बेकार होता है। नोट: अब मार्केट में ऐसे भी RO आ रहे हैं तो 70% पानी साफ करते हैं और सिर्फ 30% पानी ही बेकार जाता है। इन्हें हाई रिकवरी RO कहते हैं। पर्यावरण के लिहाज से यह बेहतर मॉडल है। 2. UV (अल्ट्रावायोलेट) इस प्रकार के वॉटर प्यूरिफायर में अल्ट्रावायोलेट तकनीक इस्तेमाल होती है। इस तकनीक से पानी में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस खत्म होते हैं। यह पानी में घुली क्लोरीन और आर्सेनिक जैसे खनिज-लवण और दूसरी अशुद्धियों को साफ नहीं करता। अगर जल निगम का पानी घर में आता है तो UV तकनीक वाला वॉटर प्यूरिफायर ही लगवाएं। खासियतें - यह सभी प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस को खत्म कर देता है। - यह नॉर्मल टैप वॉटर प्रेशर में काम कर सकता है खामियां - इसके लिए भी हर समय बिजली की जरूरत पड़ती है। - बैक्टीरिया और वायरस को पानी से बाहर नहीं करता, लेकिन मार देता है। 3. UF (अल्ट्रा फिल्ट्रेशन) पानी को साफ करने की यह एक फिजिकल तकनीक है। इसे ग्रैविटी तकनीक भी कहते हैं। इसमें एक मेंब्रेन (झिल्ली) या लेयर होती है। इससे पानी में घुली हुई सभी प्रकार की अशुद्धियां साफ हो जाती हैं। साथ ही यह पानी में मौजूद सभी प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस को मार कर उन्हें पानी से बाहर करता है। हालांकि यह पानी के सभी मिनरल्स और सॉल्ट को फिल्टर नहीं करता। खासियतें - इसके लिए बिजली की जरूरत नहीं। - नॉर्मल टैप वॉटर प्रेशर में काम कर सकता है। खामियां - जहां बोरवेल के पानी को साफ नहीं कर पाता। - अगर पानी में क्लोरीन और आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा हो तो इसका कोई फायदा नहीं। अब जानें, कितना जरूरी है वॉटर प्यूरिफायर अब सवाल है कि क्या वॉटर प्यूरिफायर खरीदना जरूरी है? आपके घर आ रहे पानी की जांच करवाने के बाद आपको लगता है कि पानी में न तो बहुत ज्यादा हानिकारक बैक्टीरिया हैं, उसका TDS, pH स्कैल और ORP वैल्यू ठीक हैं तो वॉटर प्यूरिफायर लगवाने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं अगर किसी एक या एक से ज्यादा लेवल पर ही पानी असाफ आ रहा है तो उसी चीज को हटाने के लिए ही वॉटर प्यूरिफायर खरीदें। इससे न केवल जेब बहुत ज्यादा हल्की होने से बचेगी बल्कि पानी की क्वॉलिटी भी बेहतर रहेगी। कौन-सा वॉटर प्यूरिफायर खरीदें मेट्रो सिटी में रहते हैं तो... मेट्रो सिटी (दिल्ली, मुंबई जैसे महानगर) में पलूशन लेवल बहुत ज्यादा होता है। इसका असर सप्लाई के पानी पर भी पड़ता है। साथ ही कई बार सामने आता है कि सप्लाई की पानी की पाइप टूट भी जाती है, जिससे गंदा पानी आने लगता है। इसलिए मेट्रो शहर में रहने वाले लोगों को ऐसा वॉटर प्यूरिफायर लेना चाहिए जिसमें RO, UV और UF तीनों तकनीकें हों। कंपनी: KENT, Blue Star, Livpure, Aquagrand, Exalta आदि। कीमत: 6 हजार रुपये से शुरू नॉन-मेट्रो सिटी में रहते हैं तो... नॉन-मेट्रो सिटी में पलूशन लेवल कुछ कम होता है। हालांकि वहां ज्यादातर पानी बोरवेल से ही आता है। ऐसे में संभावना है कि पानी में TDS की मात्रा बहुत ज्यादा हो। इसलिए ऐसा वॉटर प्यूरिफायर खरीदें जो पानी का TDS कम कर दे। इसके लिए RO तकनीक वाला वॉटर प्यूरिफायर ही काफी है। कंपनी: Aqua Fresh, Exalta, LG, Blue Star आदि। कीमत: 8 हजार रुपये से शुरू पहाड़ी इलाकों में रहते हैं तो... पहाड़ी इलाकों का पानी मीठा होता है। ऐसे में उसमें TDS की मात्रा कम होती है। हालांकि उसमें बैक्टीरिया या वायरस हो सकते हैं। इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए UV या UF टेक्नॉलजी वाला वॉटर प्यूरिफायर बेहतर रहेगा। कंपनी: Blue Star, Livpure, Hindware, HAVELLS आदि। कीमत: 5 हजार से शुरू नोट: किसी भी प्रकार का वॉटर प्यूरिफायर चुनने से पहले पानी की जांच जरूर करवा लें। कीमतों में बदलाव संभव। ये बातें ध्यान रखें - अगर बिजली से चलने वाला वॉटर प्यूरिफायर खरीद रहे हैं तो हमेशा ऐसा वॉटर प्यूरिफायर खरीदें जिसका टैंक बड़ा हो यानी उसमें पानी आने क्षमता ज्यादा हो। दरअसल, काफी जगहें ऐसी हैं जहां बिजली की कटौती होती रहती है। ऐसे में अगर बिजली लंबे समय के लिए कट भी जाती है तो आपको पानी के लिए परेशान नहीं होना होगा। ऐसी स्थिति में 10 या इससे ज्यादा लीटर का टैंक वाला वॉटर प्यूरिफायर खरीदना बेहतर होगा। - RO वॉटर प्यूरिफायर से काफी पानी खराब हो जाता है। 10 लीटर पानी से 3 या 4 लीटर ही साफ पानी निकलता है और पानी का बेकार हो जाता है। ऐसे में इस बेकार पानी का इस्तेमाल घर या गाड़ी धोने में कर सकते हैं। इस पानी को पेड़-पौधों में न डालें, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में सॉल्ट होते हैं जो पेड़-पौधे की जड़ों को खराब कर सकते हैं। - हमेशा ऐसा RO खरीदें जिसमें फिल्टर बदलने का इंडिकेटर आता हो। इससे आप सही समय पर वॉटर प्यूरिफायर का फिल्टर बदल पाएंगे और साफ पानी पीते रहेंगे। - फिल्टर पानी को अगर कहीं लेकर जा रहे हैं तो बेहतर है कि इसे नॉन-ट्रैन्स्पेरन्ट (अपारदर्शी) बोतल में ही लेकर जाएं। ट्रैन्स्पेरन्ट (पारदर्शी) बोतल में लाइट जाने से पानी में मौजूद बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं जिससे पानी फिर से अशुद्ध हो जाता है।


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