दुनिया तेजी से डिजिटाइजेशन की ओर अग्रसर है। इसी क्रम में पिछले कुछ दिनों से NFT का नाम काफी लिया जा रहा है। यह एक नॉन-फंजिबल टोकन है। इसे एक क्रिप्टोग्राफिक टोकन कहा जा सकता है। कोई ऐसी तकनीकी आर्ट जिसके बारे में अगर यह दावा किया जाता है कि वो यूनिक है। साथ ही यह स्थापित किया जाता है कि उसका मालिकाना हक किसी खास व्यक्ति के पास है तो उसे NFT यानी नॉन-फंजिबल टोकन कहा जाता है। आजकल निवेशक इस तरह की चीजों पर खासा ध्यान दे रहे हैं जो केवल ऑनलाइन ही उपलब्ध हैं। साथ के साथ यूनिक भी है। पिछले कुछ दिनों से NFT को लेकर खबरें सामने आ रही हैं और लोगों के मन में इसे लेकर कई सवाल भी हैं। इसके बारे में लोगों का ध्यान तब आकर्षित हुआ जब कुछ ही दिन पहले एक 10 सेकंड की वीडियो क्लिप करीब 66 लाख डॉलर यानी करीब 48.44 करोड़ रुपये में बिकी। इसे मियामी के एक आर्ट कलेक्टर पाब्लो रोड्रिगूज फ्रेले ने खरीदा है। इन्होंने वर्ष 2020 में भी 10 सेकंड के आर्टवर्क पर 67 हजार डॉलर यानी करीब 49.17 लाख रुपये खर्च किए। यह एक कंप्यूटर जनरेटेड वीडियो है। इसे NFT यानी नॉन-फंजिबल टोकन कहा जाता है। तो आइए जानते हैं कि NFT क्या होता है, इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है और भारत में इसका क्या आउटलुक हो सकता है। क्या होता है NFT?NFT का मतलब नॉन-फंजिबल टोकन है। यह एक क्रिप्टोग्राफिक टोकन है जो किसी यूनिक चीज को दर्शाता है। किसी व्यक्ति के पास NFT का होना इसे दर्शाता है कि उसके पास कोई यूनिक या एंटीक डिजिटल आर्ट वर्क है जो दुनिया में और किसी के भी पास नहीं है। NFT यूनिक टोकन्स होते हैं या यूं कहा जाए कि ये डिजिटल असेट्स होते हैं जो वैल्यू को जनरेट करते हैं। उदाहरण के तौर पर- अगर दो लोगों के पास बिटकॉइन हैं तो वो उन्हें एक्सचेंज कर सकते हैं। ये एक जैसे ही हैं इसलिए इनकी कीमत एक जैसी होगी। हालांकि, NFT को विनिमय नहीं किया जा सकता है। क्योंकि ये यूनिक आर्ट पीस होते हैं और इसका हर टोकन भी अपने आप में यूनिक होता है। बिटकॉइन एक डिजिटल असेट है। जबकि NFT एक यूनिक डिजिटल असेट है। इसके हर टोकन की वैल्यू भी यूनिक होती है। और आसान भाषा में समझा जाए तो अगर किसी डिजिटल आर्ट वर्क को तकनीक की दुनिया में स्थापित किया जाए तो उसे NFT यानी नॉन-फंजिबल टोकन कहा जाएगा। ब्लॉकचेन में जब आप किसी को बिटकॉइन भेजते हैं तो लेजर में एंट्री की जाती है। वहीं, NFT के लिए भी इसमें एंट्री की जाती है लेकिन इसमें फाइल का एड्रेस भी दिया जाता है जो NFT के स्वामित्व को स्थापित करता है। NFT का आसान मतलब ऐसे भी समझा जा सकता है- ब्लॉकचैन पर एक डिजिटल ऑब्जेक्ट के स्वामित्व का पंजीकरण करना NFT कहलाता है। डिजिटल गेमिंग है NFT का बड़ा मार्केट: यह डिजिटल गेमिंग की दुनिया में अहम माना जा सकता है। यहां कैरेक्टर्स या किसी अन्य प्रॉपर्टी का इस्तेमाल उन लोगों द्वारा नहीं किया जा सकता है जिन्होंने उसे नहीं खरीदा है। इससे लोग पैसा भी बना सकते हैं। उदाहरण के तौर पर- अगर आपने कोई वर्चुअल रेस ट्रैक खरीदा है तो दूसरे प्लेयर्स को उसे इस्तेमाल करने के लिए पैसे देने होंगे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि गेमिंग की दुनिया के लिए यह एक बड़ा मार्केट है। जानें NFT कैसे करते हैं काम: नॉन-फंजिबल टोकन का इस्तेमाल डिजिटल असेट्स या सामानों के लिए किया जा सकता है जो एक दूसरे से अलग होते हैं। इससे उनकी कीमत और यूनिकनेस साबित होती है। ये वर्चुअल गेम्स से आर्टवर्क तक हर चीज के लिए स्वीकृति प्रदान कर सकते हैं। NFT को स्टैंडर्ड और ट्रेडिशनल एक्सचेंजेज में ट्रेड नहीं किया जा सकता है। इन्हें डिजिटल मार्केटप्लेस में खरीदा या बेचा जा सकता है। भारतीय संदर्भ में NFT: एक्सपर्ट्स की मानें तो भारत में NFT का कॉन्सेप्ट एकदम नया है। यहां पर इसे ट्रेंड पकड़ने में कुछ समय लग सकता है। NFT को भारत में लॉन्च करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज पहली भारतीय कंपनी बनने की तैयारी में है जिसे Dazzle नाम दिया जाएगा।
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