Microsoft में निकाली खामी तो मिला 36 लाख का इनाम, जानें कौन है ये व्यक्ति

किस्मत कब पलट जाए इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। हाल ही में दुनिया की जानी-मानी कंपनी ने () ने चेन्नई के एक व्यक्ति को करीबन 36 लाख रुपये का इनाम दिया है। टेक्नोलॉजी फर्म माइक्रोसॉफ्ट अब लोगों को पैसा बांट रही है तो ऐसा कुछ नहीं है। बल्कि कंपनी ने इस युवक को पैसा इसके दिमाग के बल पर दिया है। लक्ष्मण मुथिया नाम के व्यक्ति को कंपनी ने इनाम दिया है, लक्ष्मण चेन्नई में एक सिक्योरिटी रिसर्चर हैं। Microsoft का एक आइडेंटिटी बउंटी प्रोग्राम चलाती है। यानी कि इसमें अगर कोई व्यक्ति कंपनी के सिस्टम में मौजूद दिक्कत को खोज लेता है तो उसे इनाम दिया जाता है। इस बार इस इनाम के हकदार एक भारतीय सिक्योरिटी रिसर्चर बने हैं। लक्ष्मण ने Microsoft की जिस ऑनलाइन सर्विस में खामी का पता लगाया था। दरअसल एक यूजर अन्य माइक्रोसॉफ्ट यूजर के अकाउंट से संबंधित जानकारी को उसकी मर्जी के बिना देख सकता था तो इस खामी का पता लक्ष्मण ने लगाया। The Zero Hack नाम के एक ब्लॉग में लक्ष्मण ने इस पूरे वाक्ये को बताया कि कैसे क्या कुछ हुआ। दिगग्ज टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की एक ऑनलाइन सर्विस में खामी थी, जिसके चलते कोई भी माइक्रोसॉफ्ट यूजर्स का अकाउंट हैक कर सकता था और उसकी बिना जानकारी के भी उसकी जानकारी एकत्रित कर सकता था। जब लक्ष्मण ने माइक्रोसॉफ्ट को इस खामी की जानकारी दी तो उन्होंने इसे ठीक किया। वहीं इसके एवज में इनाम के तौर पर लक्ष्मण को बाउंटी प्रोग्राम के तहत 50 हजार डॉलर यानी कि भारतीय करेंसी के हिसाब से करीबन 36 लाख रुपये का इनाम दिया। वहीं आपको बता दें कि इससे पहले भी लक्ष्मण कई टेक कंपनियों ने इनाम पा चुके हैं। उन्होंने जब फोटो और वीडियो बेस्ड सोशल मीडिया साइट Instagram में खामी का पता लगाया था तो उन्हें फेसबुक ने इनाम दिया था। बाद में लक्ष्मण को पता चला कि माइक्रोसॉफ्ट भी अकाउंट पासवर्ड रीसेट करने के लिए कुछ इस प्रकार की टेक्नोलॉजी यूजर कर रहा है और उन्होंने उसे टेस्ट किया और पाया कि इसे हैकर्स आसानी से हैक कर सकते हैं और यूजर्स की जानकारी चुरा सकते हैं। अब क्या है प्रक्रिया?
  • यहां हम आपको बताते हैं कि जब कोई Microsoft उपभोक्ता अपना अकाउंट पासवर्ड रीसेट करेगा तो उसे पासवर्ड रीसेट पेज पर रि डायरेक्ट कर दिया जाता है।
  • इस जगह पर उपभोक्ताओं से मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस दर्ज करने के लिए कहा जाता है।
  • फिर यूजर को Microsoft द्वारा 7 डिजिट का वन टाइम पासवर्ड भेजा जाता है।
  • उसके बाद यूजर को वेरिफाई करने के लिए ओटीपी को पेज पर दर्ज करना होता है।
क्या थी दिक्कत? जब कोई हैकर इस 7 डिजिट के ओटीपी को एक साथ डालता है तो बिना अन्य यूजर को पता लगे उसके पासवर्ड को रीसेट कर सकता है। ऐसा नहीं है कि यह प्रक्रिया इतनी आसानी से हैक हो सकती है, बल्कि सिस्टम में काफी लिमिट बनी हुई हैं जो कि हैकर्स को हमला करने से रोकती हैं। काफी समय लगा? माइक्रोसॉफ्ट की ऑनलाइन सर्विस में खामी का पता लगाने के लिए लक्ष्मण ने काफी समय लिया था। वहीं इस दौरान उन्होंने सिस्टम की इस खामी का पता लगाने के दौरान उसका वीडियो भी बनाया और माइक्रोसॉफ्ट को भेज दिया।


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