मनुष्य का दिमाग समंदर है। इसमें कई सवाल भरे होते हैं। हमारे दिमाग में जब कोई प्रश्न उठता है तो उसका जवाब लेने के लिए हम आतुर हो उठते हैं। सन् 1996 से पहले तक, सवालों के जवाब के लिए या तो किसी से पूछना पड़ता था या फिर किताबें झांकनी पड़ती थी। इसके बावजूद भी हमें हमारे हर सवाल का जवाब मिले यह जरूरी नहीं था। लेकिन सन् 1996 में इजाद हुए ने, यह काम बेहद आसान और चंद क्लिक्स का बना दिया है। जब भी हमारे मन में कोई सवाल आता है तो हम बोलते हैं चलो Google कर लेते हैं। Google से हम कुछ भी पूछ सकते हैं। यहां से हमारे हर सवाल का जवाब आसानी से मिल जाता है। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर Google ये सभी जानकारी लाता कहां से है? क्या वो कहीं से कॉपी पेस्ट करता है या फिर वो खुद ही जवाब देता है? क्या Google हमारे सवाल का जवाब खुद देता है या फिर कहीं से कॉपी करता है? जाहिर है कि ज्यादातर यूजर्स इस बारे में नहीं जानते होंगे। ऐसे में हम आपके लिए यह लेख लाए हैं जहां हम आपको यह बताएंगे कि आखिर Google कहां से लाता है आपके हर सवाल का जबाव। Google तीन स्टेज में आप तक जानकारी पहुंचाता है। आइए जानते हैं इन स्टेजेज के बारे में: Crawling: पहला स्टेप Crawling है। वेब पेजेज पर क्या उपलब्ध है यह देखने का काम Google करता है। वह पेजेज को क्रॉल करता है। साथ ही नए पेजेज को इंडेक्स उन्हें जोड़ता भी है। बस इसी प्रोसेसर को क्रॉलिंग बोला जाता है। अब यह जानना भी बेहद जरूरी है कि वो यह काम करता कैसे है। इसके लिए Google, Web Crawlers के Google bot का इस्तेमाल करता है। बता दें कि यह एक Web Crawlers सॉफ्टवेयर है। इसी के जरिए वेबपेजेज को ढूंढा जाता है। इन पेजेज को ढूंढकर Crawlers उन पर मौजूद लिंक्स को फॉलो करता है। लिंक से लिंक पर जाकर डाटा एकत्रित किया जाता है। फिर इन्हें Google के सर्वर पर लाया जाता है। इसी तरह से नए पेजेज Google index पर जोड़े जाते हैं। किस वेबसाइट को क्रॉल करना है यह Google bot के एल्गोरिदम प्रोसेस के जरिए सेलेक्ट किया जाता है। जैसे कि हम Google पर किसी जानकारी को सर्च करते हैं ठीक उसी तरह Google के Web Crawlers भी काम करते हैं। Indexing: यह दूसरा स्टेप होता है। जब वेबपेज पर क्रॉलर आता है तो उस पेज का कंटेंट चेक किया जाता है। इसे रेंडरिंग भी कहा जाता है। इसमें सिर्फ कंटेंट ही नहीं बल्कि इमेजेज और वीडियो भी शामिल होते हैं। इस प्रोसेस में Google यह चेक करता है कि जिस पेज को क्रॉल किया जा रहा है वो आखिर किया है। इसमें कीवर्ड्स और वेबसाइट की फ्रेशनेस पर खासा ध्यान दिया जाता है। यह भी देखा जाता है कि कंटेंट किसी दूसरे वेबसाइट से कॉपी पेस्ट न किया गया हो। अगर कंटेंट डुप्लीकेट होता है इसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। सभी जानकारी को Google Index में स्टोर किया जाता है। यह एक बड़ा डाटा बेस होता है। Serving Result: Google पर कुछ भी टाइप करने से पहले हमें कीवर्ड पर काफी ध्यान देना पड़ता है। क्योंकि कीवर्ड से ही सही सर्च किया जा सकता है। इसके अलावा भी कई बातें हैं जिन पर सटीक रिजल्ट निर्भर करता है। सबसे ऊपर पेज कौन-सा रैंक होता है, यह भी महत्वपूर्ण होता है। बस इसी तरह से Google आपके हर सवाल का जवाब सेकेंड्स में दे देता है। कहां से हुई थी Google की शुरुआत: सन् 1996 में Google को एक रिसर्च के दौरान शुरू किया गया था। Larry Page और Sergey Brin ने इसे बनाया था। ये दोनों स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया में PHD के स्टूडेंट्स थे। इन्हें ही Google गाइड्स कहा जाता है। उन्हें कई बार पढ़ाई को लेकर दिक्कतें आती थीं और इंटरनेट के सुविधाजनक न होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में इस दोनों यह सर्च इंजन बनाया। यह इस तरह बनाया गया कि किसी भी वेबसाइट की क्वालिटी को देखते हुए यूजर्स को उनके सवाल के अनुसार रिजल्ट दिया जा सकेगा।
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