भारतीय मूल की कमला हैरिस ने इतिहास रचा; बाइडेन की कट्टर विरोधी होने के बावजूद उम्मीदवारी मिली

कमला हैरिस अमेरिका की नई उपराष्ट्रपति होंगी। 56 साल की कमला के पिता जमैकन, जबकि मां भारतीय थीं। इसके पहले कोई अमेरिकी महिला इस ऊंचाई तक नहीं पहुंची। बचपन में हैरिस को लगता था कि रंगभेद और नस्लीय भेदभाव की लड़ाई बहुत लंबी और मुश्किल है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने पैरेंट्स और अधिकारों की लड़ाई का कई बार जिक्र किया।

अश्वेतों में लोकप्रिय
एक चुनावी रैली में अश्वेत महिला से उन्होंने कहा- कई बार हम खुद को अकेला महसूस करते हैं। लेकिन, अब कई हमसफर मिल चुके हैं। अश्वेतों के बीच उनकी लोकप्रियता काफी है। अमेरिका विविधता का प्रतीक है। कमला अश्वेत हैं। एशियाई मूल की हैं, भारत की हैं। और अब वे अमेरिका की पहली महिला उप राष्ट्रपति होंगी। उनके साथ राष्ट्रपति होंगे श्वेत और 77 साल के जो बाइडेन।

पहली लेकिन अंतिम बिल्कुल नहीं
शनिवार को विक्ट्री स्पीच में कमला ने कहा- मैं अमेरिका की पहली महिला वाइस प्रेसिडेंट बनूंगी, लेकिन हमें यह भी तय करना है कि ये आखिरी बार न हो। हर छोटी बच्ची आज जो देख रही है। उसके मन में यह भावना जरूर आनी चाहिए कि अमेरिका संभावनाओं और उम्मीदों का देश है। कमला सैन फ्रांसिस्को में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रहीं। वे पहली अश्वेत महिला हैं जो कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनीं। 2016 में जब वे सांसद बनीं तो यह सम्मान पाने वाली सिर्फ दूसरी अश्वेत महिला थीं। सीनेट में कई बार उन्होंने रंगभेद और नस्लवाद पर भाषण दिए। देश इस मुद्दे पर सोचने के लिए मजबूर हुआ।

हर कदम संघर्ष
हैरिस ने मॉन्ट्रियल (कनाडा) में कई साल बिताए। अश्वेतों की यूनिवर्सिटी हार्वर्ड में भी रहीं। डोमेस्टिक और चाइल्ड वॉयलेंस पर काम किया। 2009 में मां की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हुई। पति यहूदी थे। उनके बच्चे उन्हें मोमाला कहते हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी से उनका नॉमिनेशन आसान नहीं था, लेकिन कमला का कद बहुत बड़ा रहा। कितनी बड़ी बात है कि जो बाइडेन की वे कट्टर विरोधी रहीं और उन्होंने ही कमला को वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट नॉमिनेट किया। यह उनके कद और ज्ञान का सम्मान था। उसको तवज्जो दी गई।

नीतियां सही हों
जुलाई 2019 में हैरिस ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था- नीतियां लोगों को ध्यान में रखकर बनाई जानी चाहिए। ये मेरा सिद्धांत है। बाइडेन से उनके कुछ मुद्दों पर विचार अलग रहे। दोनों एक ही मंच और एक ही पार्टी में थे। लेकिन, बाइडेन उनकी प्रतिभा पहचानते हैं। इसलिए अपने सहयोगी के तौर पर उन्होंने कमला को ही चुना। लोगों को पार्टी से जोड़ने के लिए उन्होंने भावुक भाषण दिए। खासतौर पर अश्वेतों के बीच। ट्रम्प तो उनका नाम भी ठीक से नहीं ले पाए। कमला पर ट्रम्प ने कई जुबानी हमले किए। लेकिन, वे शालीनता से पेश आईं। सियासत में उनको भले ही कुछ भी कहा जाता रहा हो लेकिन, उनके दोस्त जानते हैं कि हैरिस कितनी काबिल हैं।

सहयोगी मुरीद
डेमोक्रेट सीनेटर कोरी बुकर कहते हैं- काम करने की जो लगन और भावना उनमें है, वो कम लोगों में होती है। वे काम के जरिए ही लोगों का दिल जीतती आई हैं। कैलिफोर्निया की सांसद बारबरा ली कहती हैं- वे व्हाइट हाउस के दरवाजे तक पहुंच चुकी हैं। कई बार इस पर यकीन करना मुश्किल होता है। उम्मीद है कि व्हाइट हाउस में वे नंबर एक बनेंगी। आपको अगले चुनाव का इंतजार करना होगा। भारतीय मूल के सांसद प्रमिला जयपाल भी यही मानती हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
फोटो 16 साल पहले यानी 2014 की है। तब कमला हैरिस ने सैन फ्रांसिस्को में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी की शपथ ली थी। फोटो में कमला की मां भी नजर आ रही हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kbvoIO

Post a Comment

0 Comments

Featured post

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai: अक्षरा-अभिमन्यु की शादी के बाद बढ़ीं मुश्किलें, शो में आया बड़ा ट्विस्ट