पाकिस्तान में कई मुश्किलों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने लोकप्रियता बनाए रखने के लिए अब इस्लामोफोबिया का सहारा लिया है। उन्होंने इस्लाम के प्रति नफरत को मुद्दा बनाकर फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने फेसबुक से इस्लामोफोबिया से जुड़ी पोस्ट हटाने की मांग की है।
फेसबुक ने बीते 12 अक्टूबर को यूरोप में यहूदी नरसंहार से जुड़े झूठ फैलाने वाली पोस्ट हटाने का फैसला लिया। 1940 में हुए इस नरसंहार को होलोकॉस्ट कहा जाता है। तब जर्मन सेना ने करीब 60 लाख यहूदी नागरिकों को मार दिया था। इस बारे में इंटरनेट पर कई गलत बातें मौजूद हैं। इनकी वजह से कई लोग तो यह भी मानने लगे हैं कि यह नरसंहार हुआ ही नहीं। लोगों को भ्रमित करने के लिए इसकी अफवाहें उड़ाई गईं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही फेसबुक ने ऐसी पोस्ट डिलीट करना शुरू किया है।
'फेसबुक के जरिए बढ़ रहा इस्लामोफोबिया'
इमरान ने अपनी चिट्ठी को ट्विटर पर शेयर किया है। इसमें उन्होंने जकरबर्ग को संबोधित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म खासतौर से फेसबुक के जरिए बढ़ रहा इस्लामोफोबिया दुनियाभर में कट्टरता और हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। मैं चाहता हूं कि आप फेसबुक पर इस्लामोफोबिया और इस्लाम के खिलाफ नफरत पर उसी तरह प्रतिबंध लगाएं, जैसे होलोकॉस्ट पर लगाया गया।
पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि होलोकॉस्ट के खंडन या उस पर सवाल उठाने वाली पोस्ट पर रोक लगाकर जकरबर्ग ने सराहनीय काम किया है। यह जर्मनी और पूरे यूरोप में नाजी प्रोग्राम का नतीजा था। दुनिया मुस्लिमों के खिलाफ भी इसी तरह के अभियान की गवाह बन रही है। दुर्भाग्य से कुछ राज्यों में मुसलमानों को उनके नागरिक अधिकारों, पहनावे से लेकर पूजा तक उनके लोकतांत्रिक विकल्पों से वंचित किया जा रहा है।
यूएन में दिए भाषण में भी उठाया था मुद्दा
पहले भी इमरान खान कई बार इस्लाम के प्रति नफरत और होलोकॉस्ट की तुलना कर चुके हैं। पिछले साल यूनाइटेड नेशंस की महासभा में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था कि वेस्टर्न सोसाइटी में होलोकॉस्ट से जुड़ी घटनाओं के साथ संवेदना वाला बर्ताव किया जाता है, क्योंकि यह यहूदी समुदाय से जुड़ा है। इसी तरह का व्यवहार हम भी चाहते हैं कि दुर्भावना से हमारी भावनाओं को आहत न किया जाए।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति की टिप्पणी के बाद लिखा पत्र
इमरान का यह लेटर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की टिप्पणी के बाद आया है। पेरिस में एक टीचर की सिर काटकर हत्या किए जाने के बाद मैक्रों ने इस्लामी अलगाववाद से लड़ाई का वादा किया था। इस पर इमरान ने कहा कि उन्होंने उकसावे के लिए जानबूझकर मुसलमानों को चुना है।
खान ने अपने पत्र में आगे कहा कि फ्रांस में इस्लाम को गलत तरीके से आतंकवाद से जोड़ा गया है। दुर्भाग्य से इस्लाम और पवित्र पैगंबर को निशाना बनाने वाले ईशनिंदा कार्टून के प्रकाशन की अनुमति दी गई। इससे फ्रांस के मुसलमान धुव्रीकरण और हाशिए की ओर जाएंगे। उन्होंने पूछा कि फ्रांसीसी कट्टरपंथी चरमपंथी मुस्लिम नागरिकों और इस्लाम की मुख्यधारा के नागरिकों के बीच कैसे अंतर करेंगे?
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