वॉट्सऐप पर प्रिवेसी है 'छलावा', कैसे कोई भी पढ़ सकता है आपके पर्सनल मेसेज?

प्राणेश तिवारी, नई दिल्ली सबसे पॉप्युलर मेसेजिंग प्लैटफॉर्म बेशक सबसे ज्यादा सेफ होने का दावा करता हो लेकिन हाल ही में सामने आए एक मामले ने इसकी पोल खोल दी है। ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़ी जांच के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को वॉट्सऐप चैट्स की मदद से कई सुराग मिले और कई मीडिया चैनल्स ने भी केस से जुड़े नामों के वॉट्सऐप चैट शेयर किए। इससे बड़ा सवाल ऐप पर मिलने वाले एनक्रिप्शन और यूजर्स की प्रिवेसी को लेकर उठा है। क्या सरकार आपके चैट्स पढ़ सकती है या फिर सेंडर और रिसीवर के अलावा कोई तीसरा वॉट्सऐप मेसेजेस ऐक्सेस कर सकता है? इन सवालों का जवाब ढेरों यूजर्स तलाश रहे हैं। करोड़ों ऐक्टिव यूजर्स वाले मेसेजिंग प्लैटफॉर्म वॉट्सऐप की ओर से यूजर्स के चैट्स सेफ होने का दावा एंड-टू-एंड एनकिप्शन के हवाले से किया जाता है। एनक्रिप्शन का मतलब है कि कोई मेसेज या डेटा कोड फॉरमेट में स्टोर होता है। वॉट्सऐप पर मिलने वाले एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन का मतलब है कि कोई मेसेज या मीडिया केवल सेंडर और रिसीवर ही अपने ऐंड पर ऐक्सेस कर सकते हैं और कोई तीसरा उन तक नहीं पहुंच सकता। सुशांत केस में पर्सनल चैट्स लीक होने के बाद अब वॉट्सऐप की ओर से एक बार फिर यही बात दोहराई गई है। कंपनी ने कहा है कि वॉट्सऐप अपने यूजर्स को पर्सनल चैट्स नहीं पढ़ता। पढ़ें: क्या एनक्रिप्टेड नहीं हैं वॉट्सऐप चैट्स? वॉट्सऐप पर किए जाने वाले मेसेजेस, विडियो और ऑडियो कॉल्स पूरी तरह एनक्रिप्टेड हैं। ऐसे में जब सेंडर कोई मेसेज भेजता है तो वह कोड में बदल जाता है और यह कोड रिसीवर के डिवाइस में दोबारा मेसेज की शक्ल में दिखता है। इस बीच कोई भी 'थर्ड पार्टी' वह मेसेज ऐक्सेस नहीं कर सकती। यहां थर्ड पार्टी का मतलब किसी ऐप, सर्विस और अटैकर से है। खुद वॉट्सऐप भी इस दौरान आपके मेसेज ऐक्सेस नहीं कर सकता। हालांकि, सेंडर और रिसीवर के डिवाइस के कोई और इन मेसेजेस तक पहुंच सकता है। यानी कि एनक्रिप्शन अपना काम कर रहा है लेकिन मेसेजेस की सेफ्टी की गारंटी नहीं है। क्लोनिंग हो सकता है आसान तरीका वॉट्सऐप पर किसी दूसरे यूजर के मेसेज पढ़ने और डेटा चुराने का सबसे आसान तरीका है, उसकी पहचान चोरी करना। अगर वॉट्सऐप को लगेगा कि आप सेंडर या रिसीवर में से कोई एक हैं तो एनक्रिप्शन के बावजूद आप मेसेजेस पढ़ पाएंगे। इसके लिए क्लोनिंग एक तरीका हो सकता है और किसी यूजर की पहचान चुराने के बाद उसका डेटा दूसरे डिवाइस पर कॉपी किया जा सकता है। बिना किसी का फोन छुए भी ऐप्स की मदद से उसकी पहचान चोरी की जा सकती है और क्लोन यूजर की तरह पर्सनल वॉट्सऐप अकाउंट ऐक्सेस किया जा सकता है। इसके अलावा वॉट्सऐप चैट्स का बैकअप एनक्रिप्टेड नहीं होता, जो पर्सनल मेसेज लीक होने की वजह बन सकता है। पढ़ें: आखिर कहां हो रही है गड़बड़ी? वॉट्सऐप पर अकाउंट बनाने के लिए यूजर्स को केवल एक मोबाइल नंबर की जरूरत होती है और उसपर आने वाले एसएमएस के जरिए पहचान वेरिफाइ की जाती है। वॉट्सऐप बाकी सोशल मीडिया सर्विसेज की तरह यूजर्स को कोई पिन या पासवर्ड सेट करने का ऑप्शन नहीं देता, जिसके बिना अकाउंट में लॉग-इन ना किया जा सके। इसका मतलब है कि अगर किसी यूजर का नंबर क्लोन कर लिया गया तो उसका वॉट्सऐप अकाउंट बनाया जा सकता है और कोई भी पुराना चैट बैकअप होने पर उसे रिस्टोर किया जा सकता है। वॉट्सऐप का 2FA (टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन) भी ऐसे में काम नहीं करता क्योंकि इसके लिए आने वाला 6-डिजिट कोड भी यूजर के कॉन्टैक्ट नंबर पर आता है। ऐसे में आप क्या करें? चैटिंग के लिए वॉट्सऐप का इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसपर किए जाने वाले चैट हमेशा के लिए सेफ हैं, इस भ्रम में ना रहें। फिलहाल ऐप पर मिलने वाले सभी ऑथेंटिकेशन और सिक्यॉरिटी ऑप्शंस को ऑन रखें। वॉट्सऐप पर भेजे जाने वाले मेसेज किसी पाइपलाइन जैसे सेटअप से गुजरते हैं, जिन्हें केवल दो सिरों पर ऐक्सेस किया जा सकता है और इस पाइपलाइन में छेदकर या कोई बदलाव कर मेसेज नहीं पढ़े जा सकते। अटैकर या हैकर सेंडर या रिसीवर के एंड से मेसेज पढ़ने की कोशिश कर सकते हैं, ऐसे में अपने फोन और ऐप को प्रटेक्टेट रखना बेहद जरूरी है। आप ऐप लॉक और फिंगरप्रिंट ऑथेंटिकेशन भी वॉट्सऐप पर जरूर ऑन रखें।


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