अब ड्रोन उड़ाना होगा सस्ता और आसान, सरकार ने जारी किए नए नियम, जानें इनके बारे में विस्तार से

नई दिल्ली। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि चाहें सीमा हो या मौसम विज्ञान और खेती-किसानी, का इस्तेमाल काफी कॉमन हो चला है। इसका इस्तेमाल तो आजकल शादी-ब्याह में भी होने लगा है। इसे लेकर केंद्र सरकार ने नए ड्रोन नियम 2021 की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि ड्रोन के नए नियम भारत में इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत कही जा सकती है। सिर्फ यही नहीं, इस सेक्टर में जितने लोग काम करते हैं उन सभी को काफी मदद मिलेगी और रोजगार भी पैदा होगा। नई नीति की बात करें तो इसकी जरूरत काफी थी क्योंकि कृषि, खनन, आधारभूत संरचना, निगरानी, आपातकालीन परिस्थितियों, परिवहन, मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसी जैसे अर्थव्यवस्था क्षेत्रों में इसका लाभ काफी ज्यादा हो रहा है। भविष्य में इसका इस्तेमाल और भी ज्यादा होने लगेगा। उम्मीद तो यह भी लगाई जा रही है कि वर्ष 2030 तक भारत एक वैश्विक हब बन सकता है। नए ड्रोन नियमों को जानने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर ड्रोन क्या होता है। क्या होता है ड्रोन: ड्रोन को UAV या Unmanned aerial vehicles भी कहा जाता है। हालांकि, वास्तविक में यह मिनिएचर रोबोट्स ही होते हैं। ये उड़ने में पूरी तरह सक्षम होते हैं। वहीं, इन्हें इंसानों द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इसके लिए एक रिमोट कंट्रोल सिस्टम होता है जिससे उसे इसे कंट्रोल किया जाता है। क्या है नई ड्रोन नीति: नई ड्रोन नियमों के अनुसार, सभी ड्रोन्स का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ड्रोन के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के लिए अब सिक्योरिटी एक्सेपटेंस यानी सुरक्षा मंजूरी और ड्रोन के रखरखाव के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा माइक्रो ड्रोन और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। नए नियमों के तहत, ड्रोन को वजन और पेलोड क्षमताओं द्वारा स्पष्ट रूप से कैटेगराइज्ड किया गया है। ग्रोथ संबंधित रेग्यूलेटरी रीजम को आसान बनाने के लिए शिक्षा जगत, स्टार्टअप और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ सरकार द्वारा ड्रोन प्रमोशन काउंसिल की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, DGCA, ड्रोन ट्रेनिंग आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा। साथ ही ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करेगा। डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिए अधिकृत ड्रोन स्कूल से रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले पायलट को 15 दिनों के अंदर डीजीसीए द्वारा रिमोट पायलट लाइसेंस जारी किया जाएगा। इसके अलावा नियमों बताया गया है कि कार्गो डिलिवरी के लिए कॉरीडोर बनाए जाएंगे। अगर कोई ड्रोन उड़ाना चाहता है तो उसका प्रशिक्षण और परीक्षा ड्रोन स्कूलों में कराई जाएगी। शुल्क की बात की जाए तो इसका शुल्क जो पहले ड्रोन के साइज पर निर्धारित था उसे कम कर दिया गया है। साथ ही साइज से उदाहरण के लिए, रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क, जो बड़े आकार के ड्रोन के लिए 3000 रुपये था, को घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है। यह सभी कैटेगरी वाले ड्रोन्स का शुल्क है। माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के लिए किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी। नियमों में कहा गया है कि नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माना घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने कहा है कि पहले जिस डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म की परिकल्पना की गई थी, उसे आवश्यक मंजूरी के लिए सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित किया जाएगा। इसे जोड़ने के लिए प्लेटफॉर्म पर एक इंटरेक्टिव एयरस्पेस मैप भी दिखाया जाएगा जो तीन जोन - पीला, हरा और लाल दिखाएगा। जो भी ड्रोन उड़ाएंगे यह उन्हें बताएगा कि वे ड्रोन्स को कहां और कहां नहीं उड़ा सकते हैं। इन क्षेत्रों में भी सरकार ने नियमों में काफी ढील दी गई है। उदाहरण के लिए, येलो जोन, जो पहले एयरपोर्ट पेरामीटर से 45 किमी का क्षेत्र था, अब घटाकर 12 किमी कर दिया गया है। इसका सीधा मतलब यह है कि एयरपोर्ट पेरामीटर के 12 किमी के दायरे के बाहर, यह ग्रीन जोन होगा जहां ड्रोन ऑपरेटरों को अब उड़ान भरने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। ये नए नियम क्यों महत्वपूर्ण हैं? नागरिक यानी सिविलियन ड्रोन के लिए नया लिबराइज्ड रीजीम ऐसे ड्रोन को ऑपरेट करने की अनुमति देने के लिए चिन्हित किया गया है। इसके साथ ही एंटी-रॉग ड्रोन फ्रेमवर्क के जरिए खराब ड्रोन से सुरक्षा सुनिश्चित कराता है। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए ड्रोन के उपयोग की अनुमति दी गई है। इसकी घोषणा 2019 में की गई थी। भारत के तीन हवाई क्षेत्र कौन से हैं? ग्रीन जोन: ग्रीन जोन का मतलब है कि एक सुरक्षित एयरस्पेस। अगर इसकी ऊंचाई की बात की जाए तो यह जमीन से 400 फीट (120 मीटर) की दूरी तक का क्षेत्र है। ड्रोन उड़ाने या संचालित करने के लिए नक्शे में इसे लाल या पीले क्षेत्र के तौर पर दिखाया गया नहीं गया है। जो नए नियम जारी किए गए हैं उसके अनुसार, ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी भी तरह की मंजूरी नहीं चाहिए होगी। यैलो जोन: येलो जोन का मतलब है कि दायरे तय होने वाला क्षेत्र। इस जोन के दायरे तय होते हैं। भारत की भूमि वाले क्षेत्रों या क्षेत्र के पानी के ऊपर जो नियंत्रित हवाई क्षेत्र होता है उसके अंदर ड्रोन ऑपरेशन प्रतिबिंधित है। इसके लिए हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण से अनुमति की जरूरत होती है। नए नियम के अनुसार, जो पहले एयरपोर्ट पेरामीटर से 45 किमी का क्षेत्र था, अब घटाकर 12 किमी कर दिया गया है। रेड जोन: इस जोन में अनुमति कि जरूरत होती है। यहांं पर ड्रोन उड़ाने के लिए अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है।


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