इंटरनेट के जरिए आज हम काफी सरलता से उन कार्यों को कर पाते हैं, जिन्हें करने के बारे में कभी सोचना भी नामुमकिन लगता था। इंटरनेट की मदद से टेक्नोलॉजी में इतना इजाफा हुआ कि हमारा सामान्य मोबाइल फोन स्मार्टफोन बन गया है। आज के समय में फोन में काफी ऐप्स आती हैं, जिनकी मदद से हम बहुत से कार्य करते हैं। इंटरनेट और इन ऐप्स की मदद से डाटा लीक और और हमारी प्राइवेसी पर खतरा भी बना रहता है। ऐसी कई घटनाएं सामने आईं हैं कि यूजर्स का डाटा लीक हुआ है। कई स्मार्टफोन यूजर्स को यह नहीं पता होता कि जब ऐप डाउनलोड की जाती है तो वह यूजर्स से कई तरह की अनुमति मांगती हैं और अकसर बिना पढ़े लोग उनकी अनुमति दे देते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए ऐप्स यूजर्स की निजी जानकारी एकत्रित करती हैं। रिसर्चर ने इसका पता लगाया है कैसे ऐप्स हमारा निजी डाटा लेती हैं। पहली बार ऐप्स द्वारा लोकेशन ट्रैकिंग से यूजर्स का डाटा एकत्रित करने की वजह पर स्टडी की गई है और इससे इसको उजागर किया गया है। रिसर्च से पता चला कि कैसे ऐप्स यूजर्स की प्राइवेसी का उल्लंघन करती हैं। इस रिसर्च में University of Bologna और University College London के दो रिसर्चर शामिल हुए। रिसर्चर ने इसके लिए एक मोबाइल ऐप TrackingAdvisor को तैयार किया जो कि लगातार यूजर्स की लोकेशन डाटा को एकत्र करती है। लोकेशन डाटा से ऐप निजी जानकारी एकत्रित कर सकती है। यूजर्स से फीडबेक के जरिए और रेटिंग के जरिए डाटा एकत्रित किया जाता है ऐसे में यूजर्स को कुछ भी पता नहीं चल पाता है। University of Bologna के Mirco Musolesi ने कहा कि 'यूजर्स को उनके बारे में कोई भी जानकारी नहीं होती है, जिनकी अनुमति वह ऐप और सर्विस को देते हैं, इसमें खासतौर पर लोकेशन ट्रैकिंग की जानकारी शामिल है।' इसकी जानकारी मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी से मिलती है। इस डाटा से यूजर्स की संवेदनशील जानकारी मिलती है जैसे कि यूजर कहां रहता है, क्या करता है, क्या पसंद है, वहां पर कितने लोगे हैं और यूजर के व्यक्तित्व की जानकारी आदि। स्टडी में शामिल TrackingAdvisor ऐप के जरिए इंटरएक्टिव, मोबाइल, वीयरबल और यूबीकिटस टेक्नोलॉजी पर ACM के काम शामिल चीजों से रिसर्चर ने पहचाना कि ऐप कैसे यूजर्स का डाटा निकालती है और यह यूजर्स की निजी जानकारी होती हैं। इस स्टडी के लिए 69 यूजर्स ने दो हफ्ते के लिए TrackAdvisor ऐप का इस्तेमाल किया था। TrackAdvisor ऐप ने 2 लाख से ज्यादा लोकेशन पर नजर रखी। इसके बाद करीब 2,500 जगहों को पहचाना और यूजर्स की 5,000 से ज्यादा डेमोग्राफिक्स और व्यक्तिगत जानकारी निकाली। एकत्र किए गए डाटा में यूजर्स के स्वास्थ्य, सामाजिक आर्थिक स्थिति, कार्य और धर्म-जाति आदि जैसी जानकारी के बारे में पता चला। Musolesi ने कहा कि 'हमारा मानना है कि यूजर्स को यह दिखना जरूरी है कि किस प्रकार की जानकारी ऐप लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए एकत्र कर सकती हैं। हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि क्या यूजर्स को ऐसा लगता है कि ऐप द्वारा लिया गया यह डेटा सही है या फिर उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन है।' रिसर्चर के अनुसार, इस तरह के विश्लेषण से यह साफ हुआ है कि कैसे एडवरटाइजिंग सिस्टम के जरिए यूजर्स के डाटा और उनकी प्राइवेसी को टार्गेट किया जाता है। इस तरह से उन्हें पता चलेगा कि अपनी प्राइवेसी कैसे बरकार रखी जाए, क्योंकि उनसे एकत्रित किया गया डाटा काफी संवेदनशील भी होता है। Musolesi ने आगे कहा कि 'इस तरह के सिस्टम से काफी मदद मिली है, जिससे यूजर्स की हेल्थ के बारे में पता चला, क्योंकि वह जब-जब क्लिनिक जाते हैं और उसके बारे में उन्हें बाद में नोटिफिकेशन मिलती है। इस प्रकार के सिस्टम में बिना मंजूरी के संवेदनशील डाटा को एकत्रित करने से रोकना चाहिए।
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