बेंगलुरू के लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल हों या फिर मुंबई इंडियंस के युवा राहुल चाहर। इन्होंने अपनी काबिलियत से सभी का ध्यान खींचा है। चहल ने 20 तो राहुल चाहर ने 15 विकेट लिए हैं। चहल के कोच रणधीर सिंह और राहुल के कोच लोकेंद्र चाहर बता रहे हैं इनकी खासियत, जो उन्हें दूसरे गेंदबाजों से अलग करती है।
चहल चार छक्के खाने के बाद भी वही गेंद फेंकेगा, जो उसे फेंकनी है और विकेट निकाल लेगा: रणधीर सिंह
चहल के कोच रणधीर सिंह बताते हैं, ‘दुनिया के बड़े से बड़े स्पिनर्स के साथ टप्पे की दिक्कत होती है पर चहल के साथ ऐसा नहीं है। वह चाहे तो पिच पर एक रुपए का सिक्का रखकर बॉल डाल देगा। चहल वनडे में 60 की 60 और टी20 में 24 की 24 बॉल एक ही जगह कर सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘वह दिल और दिमाग से बहुत बड़ा गेंदबाज है। अपनी भाषा में कहें तो उसमें जिगरा बहुत है। आमतौर पर पहली गेंद पर छक्का लगने के बाद गेंदबाज ओवर को बचाने लगता है।
चहल चार छक्के खाने के बाद भी वही गेंद फेंकेगा, जो उसे फेंकनी है और विकेट निकाल लेगा। उसका सोचना है कि बल्लेबाज छक्का ही मारेगा न, सत्ता या अठ्ठा तो नहीं मारेगा।’ रणधीर ने कहा कि इसे इंटेलीजेंट लेवल कहें या आईक्यू या गेम की अंडरस्टेंडिंग। वह बल्लेबाज को अच्छे से रीड करता है।’
राहुल जितनी वैरायटी किसी के पास नहीं, वैरायटी और फिटनेस ही उसे सबसे अलग बनाती है: लोकेंद्र चाहर
लोकेंद्र चाहर ने बताया, ‘राहुल की फिटनेस उसे दूसरे स्पिनर्स से अलग बनाती है। आम धारणा है कि तेज गेंदबाजाें के लिए फिटनेस सबसे महत्वपूर्ण हाेती है। स्पिनर्स खुद की फिटनेस पर उतना काम नहीं करते, जितना की पेसर। उसने फिटनेस पर उतना ही काम किया है जितना की दीपक ने। दाेनाें पिछले 10 सालों से एक साथ वर्कआउट कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जितनी वैरायटी राहुल के पास है उतनी किसी स्पिनर के पास नहीं है। वह 54 तरह की गेंद डाल सकता है।
इतना ही नहीं एक गेंद को नौ वैरायटी के साथ फेंक सकता है। सामान्यत: स्पिनर 4-5 वैरायटी की बॉल का उपयोग करते हैं। पर चाहर छह तरह की बॉल डालता है। इनमें लेग स्पिन, गुगली, टॉप स्पिन, फ्लिपर, दूसरा और स्लाइडर हैं। टप्पा अच्छा करने के लिए 10 सालों से रोजाना 100 बॉल डलवाता हूं।’
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