पाकिस्तान सरकार ने 2 महीने में 11 हजार पोलियो वर्कर्स को नौकरी से हटाया है। सरकार के इस फैसले से देश में पोलियो रोकथाम के अभियान को झटका लगा है। 8 महीने में 64 पोलियो केस सामने आए। देश को पोलिया मुक्त बनाने के प्रोग्राम के प्रमुख राना मुहम्मद सफदर के मुताबिक- पोलियो वर्कर्स कोरोना महामारी की रोकथाम से जुड़े काम भी कर रहे थे। इसके बावजूद उन्हें हटा दिया गया। राना ने अरब न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही।
डब्ल्यूएचओ की 20 जनवरी 2020 को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के सिर्फ तीन देशों में पोलियो के केस सामने आ रहे हैं और ये बेहद गंभीर चिंता की बात है। पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान और नाइजीरिया में पोलियो केस सामने आ रहे हैं।
फंडिंग में भी कटौती
पाकिस्तान पोलियो विभाग के प्रमुख सफदर के मुताबिक- सरकार ने देश में पोलियो रोकथाम से जुड़े काम करने के तरीकों में बदलाव किया है। इस काम के लिए दी जा रही फंडिंग में भी कटौती की गई है। हटाए गए पोलियो वर्कर्स में ज्यादातर महिलाएं हैं। ये सभी सिंध और खैबर पख्तूनख्वाह राज्य में सेवाएं दे रही थीं। इन दोनों राज्यों से ही पोलियो के नए मामले सामने आए हैं। सिंध में 21 और खैबर पख्तूनख्वाह में 22 पोलियो मरीज मिले हैं।
अब हर दिन दिया जाता है वर्कर्स को पैसा
वकर्स की संख्या घटाने का फैसला पिछले साल इस्लामाबाद में हुई एक रिव्यू मीटिंग में लिया गया था। इसमें प्रधानमंत्री के पूर्व हेल्थ एडवाइजर जफर मिर्जा शामिल हुए थे। इसमें जमीनी स्तर पर काम करने के तरीके बदलने का फैसला किया गया था। पहले वकर्स को 25 हजार रुपए हर महीने दिए जाते थे। अब वकर्स को सिर्फ 10 दिनों के लिए रखा जाता है और हर दिन के हिसाब से पेमेंट किया जाता है।
मार्च से नहीं पिलाई गई पोलियो की खुराक
इस साल अप्रैल में इमरान सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें पोलियो वैक्सीनेशन कम करने को कहा गया था। यह कदम आर्थिक किल्लत की वजह से उठाया गया था। पाकिस्तान में कोराना का पहला मामला 2 फरवरी को सामने आया था। इसके एक महीने बाद मामले बढ़े तो पोलियो ड्रॉप पर भी पाबंदी लगा दी गई।
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