अमेरिका को कोरोना महामारी ने बहुत नुकसान पहुंचाया है। 54 लाख से ज्यादा संक्रमित हुए, 1.72 लाख से ज्यादा की मौत हुई। लाखों लोग बेरोजगार हुए। इसके साथ ही ट्रम्प की राजनीतिक छवि को भी बहुत नुकसान पहुंचा। फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक देश के अलग-अलग राज्यों में हुए सर्वे से पता चला है कि अगर 3 नवंबर को होने वाले चुनाव आज हो जाएं तो ट्रम्प की बहुत बुरी हार होगी। उन्हें बहुमत की 270 सीटों से 151 सीटें कम मिलेंगी।
सर्वे में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन को 298 सीटें मिलती दिख रही हैं। हालात सुधारने के लिए ट्रम्प को अब वैक्सीन की दरकार है। ट्रम्प चाहते हैं कि चुनावों के पहले ही अमेरिका में कोरोना वैक्सीन बन जाए। उन्होंने लोगों से अक्टूबर में सरप्राइज भी देने को कहा है। ट्रम्प दिन में कई बार वैक्सीन की सफलता की भविष्यवाणी करते रहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि देश में नवंबर से पहले वैक्सीन बना ली जाएगी।
अमेरिका में वैक्सीन को लेकर क्या तैयारी?
1. दो वैक्सीन का फेज-3 का ट्रायल चल रहा
अमेरिका में कोविड-19 की दो वैक्सीन का फेज-3 का ट्रायल चल रहा है। ये वैक्सीन बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना और फाइजर ने बनाई हैं। मॉडर्ना की वैक्सीन का नाम mRNA-1273 है वहीं, फाइजर की वैक्सीन का नाम BNT162b2 है। अधिकारियों ने बताया कि यह एक अप्रत्याशित स्थिति है। हमें नहीं पता कि ये वैक्सीन कितना अच्छा काम करने वाली हैं।
2. वैक्सीन के लिए 471 अरब रुपए का फंड दिया
अमेरिका ने ऑपरेशन वार्प स्पीड के जरिए मार्च से अभी तक वैक्सीन को डेवलप करने के लिए 6.3 अरब डॉलर (471 अरब रुपए) का फंड दिया है। इसमें यूरोप के देशों की कई फार्मास्यूटिकल कंपनियां भी शामिल हैं। खबर आई थी कि ट्रम्प ने इन कंपनियों से सबसे पहले अमेरिका को वैक्सीन देने को कहा है। इसके बाद यूरोपीय देशों ने विरोध भी किया है।
3. 700 करोड़ रुपए की सिरिंज और नीडिल खरीदने का आर्डर
अमेरिका ने 700 करोड़ रुपए की सिरिंज और नीडिल खरीदने का आर्डर दिया है। कोरोना वैक्सीन तैयार होने के बाद इनका इस्तेमाल लोगों को टीका लगाने के लिए किया जाएगा। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक यह देश में महामारी रोकने की रणनीति के लिए अहम है। अगले एक साल में 500 करोड़ सिरिंज खरीदे जाएंगे। 2020 के अंत तक 134 करोड़ सिरिंज देश के अस्पतालों तक पहुंचा दिए जाएंगे।
राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रम्प की लोकप्रियता घटी
डोनाल्ड ट्रम्प ने 9 नवंबर 2016 को अमेरिका का राष्ट्रपति पद संभाला था। इस दौरान अमेरिका में हुए तमाम सर्वे में ट्रम्प की लोकप्रियता ठीक थी। 45.5% लोग उन्हें पसंद करते थे, जबकि 41.3% नापसंद। साल बीतने पर उनकी लोकप्रियता तेजी से घटी। जनवरी 2018 में उन्हें केवल 40.4% लोग पसंद करते थे, जबकि 53.5% नापसंद।
इस साल कोरोना महामारी से पहले मार्च में ट्रम्प की लोकप्रियता में सुधार आया था। इस दौरान उन्हें 46% लोग पसंद करते थे, जबकि 48% लोग नापसंद, जबकि 6% लोगों की कोई राय नहीं थी। 14 अगस्त 2020 को उनकी लोकप्रियता फिर घटकर 41.5% रह गई। मौजूदा समय में 54.6% लोग उन्हें नापसंद करते हैं।
वैक्सीन के ट्रायल पर भी विवाद
अमेरिका में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर भी विवाद हुआ है। दरअसल टीका लगवाने वाली पहली वॉलंटियर रॉबिन नाम की एक अश्वेत महिला थी। इसके बाद अमेरिकन अफ्रीकन कम्युनिटी में नाराजगी की बात सामने आई थी। इसकी वजह अमेरिका का टसकेगी एक्सपेरीमेंट था, इसमें अमेरिका ने 40 सालों तक अश्वेत पुरुषों पर सिफिलिस के इलाज के लिए एक्सपेरीमेंट किए थे। अश्वेत लोगों को अंधेरे में रखा जाता था।
पिछले महीने रॉबिन ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की वीडियो चैट में हिस्सा लेकर बताया था कि उन्होंने दूसरों की मदद करने के लिए ऐसा किया।
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