आज के समय में संयुक्त परिवार में रहना लगभग खत्म- सा ही हो गया है। भारतीय संयुक्त रिवार का जो मॉडल हमारे दिमाग में फिट है, वह सिर्फ और सिर्फ दो चीजों पर आधारित है, पहला घर का खूब सारा कामकाज और दूसरा सास-ससुर के अलावा परिवार के बाकी सदस्यों के साथ बिगड़ते रिश्ते। यही नहीं, कई लोगों का ऐसा मानना भी है कि जॉइंट फैमिली में बहुओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो, संयुक्त परिवार को एक दमनकारी प्रणाली (हीन भावना से ग्रसित) माना जाता है, जहां एक महिला अपनी स्वतंत्रता और निजी जीवन को खतरा मानती हैं। यही कारण है कि नई-नवेली दुल्हन शादी के बाद से ही इस तामझाम से दूर होने के लिए संघर्ष करने लगती है। हालांकि, आज के समय में समाज बहुत बदल रहा है। घर के प्रधान पुरुष इस तथ्य के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं कि उनकी पत्नियां केवल घर चलाने के लिए या आने वाली पीढ़ियों को संभालने भर के लिए नहीं हैं, बल्कि वह उनके हर एक काम में साझेदार भी हैं। ऐसा ही कुछ हाल बच्चन परिवार का भी है, जिन्होंने ऐश्वर्या को इस कदर अपनाया कि उन्होंने कभी जलसा से बाहर आने का विचार ही नहीं किया। ऐश्वर्या और अभिषेक बच्चन जलसा से कभी बाहर नहीं निकलेंगे’ इस हेडलाइन ने उस समय सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थीं, जब साल 2009 में ओपरा विनफ़्रे भारत आई थीं और उन्होंने ऐश-अभिषेक से पूछा था कि, ‘वह माता-पिता के साथ रहने के बाद भी काम कैसे कर लेते हैं?’ हालांकि, इस सवाल पर ऐश्वर्या ने जवाब दिया था कि 'संयुक्त परिवार में रहना इतना भी बुरा नहीं है, वहां एक अलग सा अपनापन है।' लेकिन कभी अपने सोचा है कि संयुक्त परिवार के जिस मॉडल को हमने अपने दिमाग में फिट किया हुआ है उसका ढांचा आज के समय में बहुत अलग है। * यदि आप एक ऐसे परिवार में शादी करते हैं, जो आपका और आपकी सीमाओं का सम्मान करता है, तो क्या वास्तव में संयुक्त परिवार में रहना बुरी बात है? जी हां, संयुक्त परिवार में रहने के कई फायदे होते हैं, जिनमें से एक घर की साझा जिम्मेदारी भी है। यदि आप अकेले रहते हैं, तो आपको अच्छे से पता होगा कि यह एक व्यस्ततम और थकावट वाला होता है। * जॉइंट फैमिली का असली फायदा तब होता है जब आप बच्चे पैदा करने का फैसला करते हैं। आज के समय में पति और पत्नी दोनों ही कमाने वाले हैं। ऐसे में जब उनके परिवार में एक बच्चा आता है, तो किसी को उसकी देखभाल करने के लिए घर रहने की जरूरत होती है। दादा-दादी के पास रहने से आप अच्छे माता-पिता और एक कामकाजी पेशेवर दोनों बन सकते हैं। * संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे अधिक परिपक्व और देखभाल करने वाले होते हैं। * यदि आप संयुक्त परिवार में रहते हैं, तो ‘शेयरिंग इज केयरिंग’ वाला फार्मूला आप पर एकदम फिट बैठता है। जी हां, मिसाल के तौर पर एक ही परिवार में आप आसानी से अपने चचेरे भाई से उसकी कोई जैकेट उधार ले सकते हैं यही नहीं, अपने चाचा के गैजेट के साथ खेल सकते हैं।
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