अमेरिका में घर बैठे कमाने का लालच देकर लुभाती हैं कंपनियां, इनसे जुड़े 99% लोगों को नुकसान

कोरोना वायरस महामारी के बीच अमेरिका में मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनियों (एमएलएम) का कारोबार जमकर चमक रहा है। वे भारी धन कमाने का लालच देकर नए निवेशकों को लुभाती हैं। घर बैठे अमीर बनाने का वादा करती हैं। लेकिन, वास्तव में ऐसा नहीं होता है। कंज्यूमर जागरूकता इंस्टीट्यूट की एक रिसर्च के अनुसार इन कंपनियों के काम में हिस्सेदारी करने वाले 99% लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। इन दिनों कंपनियों के माध्यम से वायरस से बचाने का दावा करने वाले तेल और सप्लीमेंट बेचे जा रहे हैं।

अमेरिका की नियामक एजेंसी फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) ने 16 एमएलएम को चेतावनी पत्र भेजे हैं। उनसे कहा गया है कि वे अपने प्रोडक्ट से कोरोना वायरस के बचाव और निवेशकों को कमाई होने का दावा न करें। ये कंपनियां लंबे समय से काम कर रही हैं। मंंदी के बीच इनका कारोबार ज्यादा चलता है। 2.63 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री के खिलाफ एफटीसी ने कुछ कदम उठाए हैं।

एमएलएम गैरकानूनी नहीं हैं लेकिन उनमें पैसा लगाना जोखिम भरा

पिछले 41 वर्षों में एफटीसी ने 30 एमएलएम के खिलाफ अदालतों में मुकदमे दायर किए हैं। 28 मामलों में अदालतों ने एजेंसी के तर्क से सहमति जताई कि ये पिरामिड कंपनियां हैं। कंपनियों ने समझौते के बतौर भारी जुर्माना चुकाया या मुकदमे का निपटारा करने के लिए कारोबार बदल लिया। एमएलएम गैरकानूनी नहीं हैं लेकिन उनमें पैसा लगाना जोखिम भरा है।

पुराने समय की एमएलएम कंपनियों का बिजनेस घर-घर बिक्री से चलता था। अब कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल नेटवर्क पर दुनियाभर में लाखों लोगों की भर्ती कर सकते हैं। इन दिनों करोड़ों लोग बेरोजगार हैं।

आलोचकों का कहना है, इंडस्ट्री सुनियोजित रूप से कमजोर वर्गों को निशाना बनाती है

कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ट्रेड ग्रुप- डायरेक्ट सैलिंग एसोसिएशन (डीएसए) के अनुसार जून में हुए सर्वे में शामिल 51 कंपनियों में से 51% का कहना है कि महामारी से उनके कारोबार पर अच्छा प्रभाव पड़ा है। एमएलएम के 74% वितरक महिलाएं हैं और 20% हिस्पैनिक मूल के लोग हैं। आलोचकों का कहना है, इंडस्ट्री सुनियोजित रूप से कमजोर वर्गों को निशाना बनाती है।

कई एमएलएम विक्रेताओं के लिए नुकसानदेह हैं। कंपनी की आय के दस्तावेजों के अनुसार यंग लिविंग के अमेरिका स्थित 89% डिस्ट्रीब्यूटरों ने 2018 में औसतन 4 डॉलर (लगभग 300 रुपए) कमाए। स्किन केयर कंपनी रोडान+फील्ड्स के 67.1 % विक्रेताओं की 2019 में सालाना कमाई 227 डॉलर (17000 रुपए) रही।

शिकायतों में कंज्यूमरों ने दो करोड़ 84 लाख रुपए से अधिक नुकसान होने की बात कही

कलर स्ट्रीट कंपनी के आधे से अधिक विक्रेताओं को 2018 में औसतन 800 रुपए मासिक मुनाफा हुआ।अभी हाल के वर्षों में कंपनियों के खिलाफ शिकायतें बढ़ी हैं। 2014 से 2018 के बीच एमवे कंपनी के खिलाफ शिकायतें 15 से बढ़कर 36 हो गईं। कंपनी के सह संस्थापक अमेरिका की शिक्षा मंत्री बेट्सी डेवोस के ससुर हैं।

इन शिकायतों में कंज्यूमरों ने दो करोड़ 84 लाख रुपए से अधिक नुकसान होने की बात कही है। मेकअप और स्किन केयर कंपनी सेनेजेंस के खिलाफ 2016 में दो, 2017 में 14 और 2018 में छह शिकायतें की गईं। उपभोक्ताओं ने 18 लाख 73 हजार रुपए नुकसान का दावा किया है। मोनाट के खिलाफ शिकायतें 2015 के दो से बढ़कर 2018 में 30 हो गई थी।

कंज्यूमरों ने 5 लाख 67 हजार रुपए के नुकसान का आरोप लगाया है। विशेषज्ञों का कहना है, साधनों की कमी के कारण एफटीसी के लिए सभी एमएलएम की जांच करना मुश्किल है। एजेंसी के रिटायर्ड अर्थशास्त्री पीटर वानडर नेट कहते हैं, यह किसी पुलिसकर्मी के लिए हाईवे पर तेज गति से दौड़ रही कारों को रोकने के समान है। यदि एक कार रोकी तो पांच अन्य फर्राटे मारती निकल जाती हैं।

इस तरह काम करती हैं ऐसी मार्केटिंग कंपनियां

  • एमएलएम कंपनियां अपने प्रोडक्ट और सेवाएं बेचने के लिए लोगों को वेतन पर नहीं रखती हैं। वे डिस्ट्रीब्यूटर बनाती हैं।
  • कंपनियों की सोशल मीडिया पोस्ट पर काम देने का वादा तो होता है पर पैसा कमाने की गारंटी नहीं रहती है।
  • पैसा लगाने वाले निवेशक, डिस्ट्रीब्यूटर अन्य लोगों को भर्ती कर उनकी बिक्री के आधार पर कमीशन, बोनस कमाते हैं। वे अपने रिश्तेदारों, मित्रों को इसके लिए तैयार कर लेते हैं।
  • बड़ी संख्या में नियुक्त डिस्ट्रीब्यूटर पैसा लगाते जाते हैं लेकिन प्रोडक्ट नहीं बिकते हैं। कई लोगों के कर्ज में लदने के मामले सामने आए हैं।
  • कई कंपनियां वजन घटाने, फिटनेस, स्किन केयर सहित कई तरह के प्रोडक्ट और सेवाएं बेचती हैं। फिटनेस सेवाएं देने वाली कंपनियां कोच बनाती हैं।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कंज्यूमर जागरूकता इंस्टीट्यूट की एक रिसर्च के अनुसार इन कंपनियों के काम में हिस्सेदारी करने वाले 99% लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। -प्रतीकात्मक फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZIoC6k

Post a Comment

0 Comments

Featured post

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai: अक्षरा-अभिमन्यु की शादी के बाद बढ़ीं मुश्किलें, शो में आया बड़ा ट्विस्ट