नए खिलाड़ियों की तरह मेहनत करते हैं विश्वनाथन आनंद, 60-70 चाल आगे की सोचकर खेलते हैं ताकि विरोधी पस्त हो

शतरंज के खेल में भारत का नाम रोशन करने वाले पांच बार के विश्व विजेता विश्वनाथन आनंद लक्ष्य पूरा करने के लिए नए खिलाड़ियों की तरह मेहनत करते हैं। वे हर गेम में 60-70 चाल आगे की सोचकर खेलते हैं ताकि विरोधियों पर काबू पा सकें। विश्व शतरंज दिवस पर उनकी पत्नी अरुणा आनंद ने भास्कर से विशेष बातचीत में कहा कि शतरंज के बिना आनंद अधूरे हैं और आनंद के बिना शतरंज अधूरा लगता है। अरुणा आनंद से बातचीत के प्रमुख अंश...

पत्नी बोलीं- आनंद ने कभी अपनी उपलब्धि पर अभिमान नहीं किया, उनकी सादगी ने हमें जीवन की नई सीख दी

विश्वनाथन आनंद फरवरी-2020 में बुंदेसलीगा शतरंज लीग में हिस्सा लेने के लिए जर्मनी गए थे, लेकिन कोरोना की वजह से वे तीन महीने तक वहीं फंसे रहे। 31 मई को वे चेन्नई पहुंचे। इस दौरान उन्होंने रूस में कैंडिडेट टूर्नामेंट में ऑनलाइन कमेंट्री भी की। इस बीच, उन्होंने नेशंस कप मेें भी भारतीय टीम का नेतृत्व किया। कोरोना की वजह से सारे स्पोर्ट्स इवेंट बंद थे, लेकिन शतरंज ऑनलाइन चलता रहा।

फिलहाल वे घर में ही आने वाले टूर्नामेंट की तैयारियां कर रहे हैं और परिवार को भी क्वालिटी टाइम दे रहे हैं। उन्होंने अखिल (बेटा) को शह और मात के कई गुर बताए, लेकिन घरेलू व्यस्तता के कारण मैं उनके साथ शतरंज नहीं खेल पाई। फुर्सत के पल में कई बार उन्होंने रसोई में भी मेरा हाथ बंटाया। मैंने उनकी फरमाइश पर कई व्यंजन भी बनाए।

आनंद खेल पर फोकस कर सकें इसी वजह से खेल से हटकर उनका बाकी का मैनेजमेंट शादी के बाद से मैं ही संभाल रही हूं। पहले मुझे आश्चर्य होता था कि इतनी बड़ी हस्ती इतनी शांत और विनम्र कैसे हो सकती है, लेकिन यही उनका मूल स्वभाव है। उन्होंने कभी भी अपनी उपलब्धि पर अभिमान नहीं किया बल्कि हमेशा खुद को और बेहतर बनाने की कोशिश की।

टूर्नामेंट में उनके साथ जाने की बात पर अरुणा ने कहा- ‘1997 में शादी के कुछ ही दिन हुए थे तब आनंद मुझे अपने साथ जर्मनी लेकर गए। यहां कई खिलाड़ियों ने शादी की बधाइयां दीं लेकिन एक खिलाड़ी ने चुनौती दे दी कि वे हारने के लिए तैयार रहें। यह बात मुझे बहुत बुरी लगी। मुझे लगा कि अगर आनंद हार गए तो इसका ठीकरा मुझ पर ही गिरेगा, हालांकि आनंद ने टूर्नामेंट जीतकर मेरी सोच गलत साबित कर दी। इसके बाद वे कॅरिअर में लगातार सफलता हासिल करते रहे। उनकी सादगी और सरलता ने हमें जीवन की एक नई सीख दे दी।’



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अरुणा ने कहा- ‘1997 में शादी के कुछ ही दिन हुए थे तब आनंद मुझे अपने साथ जर्मनी लेकर गए।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/39elsKJ

Post a Comment

0 Comments

Featured post

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai: अक्षरा-अभिमन्यु की शादी के बाद बढ़ीं मुश्किलें, शो में आया बड़ा ट्विस्ट