कोरोनावायरस 9 दिन तक दरवाजों, गाड़ी के हैंडलों पर जिंदा रह सकता है, आम फ्लू के मुकाबले यह चार गुना ज्यादा समय

वॉशिंगटन/बीजिंग/दिल्ली. कोरोनावायरस के असर से पूरी दुनिया में डर का माहौल बना है। इसी बीच एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि वुहान से दुनियाभर में फैला यह वायरस दरवाजों और गाड़ियों के हैंडल में टिक कर भी जिंदा रह सकता है। इसे खत्म करने के लिए डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल जरूरी है, वरना यह आम फ्लू के मुकाबले चार गुना ज्यादा समय तक किसी सतह पर जिंदा रह सकता है। जहां साधारण फ्लू 2 दिन ही जिंदा रहता है, वहीं कोरोनावायरस सही स्थितियों में 9 दिन तक किसी सतह से दूसरे व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है।

यह स्टडी जर्मनी की रूह्र यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रीफ्सवाल्ड के एक्सपर्ट्स की तरफ से की गई। विशेषज्ञ कोरोनावायरस पर की गई 22 स्टडी के डेटा को स्टडी किया। इसमें सामने आया कि कोरोनावायरस ग्लास, प्लास्टिक, लकड़ी और धातु से बनी वस्तुओं पर काफी समय तक जिंदा रह सकता है। फ्लू की तरह ही यह किसी भी वस्तु पर 4 डिग्री या उससे कम तापमान में एक महीने तक जिंदा रह सकता है। हालांकि, 30 डिग्री से ज्यादा तापमान में इसका सर्वाइवल रेट (जीवित रहने की क्षमता) घट जाता है।

हॉन्गकॉन्ग में कोरोनावायरस संदिग्धों को एक साथ एंबुलेंस में भर कर ले जाया जा रहा है।

अल्कोहल और ब्लीच से आसानी से खत्म हो जाता है कोरोनावायरस
कोरोनावायरस को डिसइंफेक्टेंट से खत्म किया जा सकता है। जहां अल्कोहल इसे एक मिनट में खत्म कर सकता है, वहीं ब्लीच इसे खत्म करने में 30 सेकंड लेता है। अभी यह साफ नहीं है कि किसी के किसी वस्तु पर मौजूद कोरोनावायरस इंसान के हाथ में पहुंचने में कितना समय लेता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इससे बचने के लिए लोगों को लगातार अल्कोहल के हैंडवॉश से हाथ धोने चाहिए।

हवा से तैरकर लोगों को संक्रमित कर रहा कोरोनावायरस

एक दिन पहले ही चीनी अफसरों ने कोरोनावायरस को लेकर बेहद डरावना खुलासा किया है। उन्होंनेबताया कि यह वायरस अब हवा में मौजूद सूक्ष्म बूंदों में मिलकर संचरण करने लगा है और हवा में तैरते हुए दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है जिसे एयरोसोल ट्रांसमिशन कहा जाता है। अब तक वायरस के डायरेक्ट ट्रांसमिशन और कॉन्टेक्ट ट्रांसमिशन की ही पुष्टि हुई थी। शंघाई सिविल अफेयर्स ब्यूरो के उप प्रमुख ने बताया, ‘एयरोसोल ट्रांसमिशन का मतलब है कि वायरस हवा में मौजूद सूक्ष्म बूंदों से मिलकर एयरोसोल बना रहा है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे सांस लेने पर भी संक्रमण हो रहा है।



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कोरोनावायरस का अब तक कोई उपचार नहीं ढूंढा जा सका है।


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